चीफ एडिटर पंकज कुमार
धिकारियों के लिए अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं :-सुरेंद्र कुमार आजाद
मनरेगा महिला मेट ग्रामीण विकास समिति उत्तर प्रदेश के प्रदेश विधिक सलाहकार सुरेंद्र कुमार आजाद ने बताया की भारतीय संविधान में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए विशेष अधिकार किए थे किसी भी देश की तरक्की के लिए वहां की महिलाओं का सशक्त होना बहुत आवश्यक है आजादी से पहले 1942 मेटरनिटी बेनिफिट बिल डॉक्टर अंबेडकर द्वारा लाया गया, 1948 के एम्पलाई इंश्योरेंस एक्ट के जरिए मातृत्व अवकाश की व्यवस्था की गई आजादी के बाद भारतीय संविधान में महिलाओं के हक और अधिकार के लिए विशेष प्रावधान किए गए आर्टिकल 14 से 16 तक महिलाओं को समान अधिकार की बात कही गई है राज्यों को भी विशेष अधिकार दिए गए हैं कि महिलाओं के उत्थान के लिए कोई विशेष कानून ला सकते हैं सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे भारत में मनरेगा महिला मेट के साथ सरकार भेदभाव कर रही है इनके अधिकारों का हनन कर रही है नरेगा एक्ट 7 सितंबर 2005 को पारित किया गया और इसकी शुरुआत 2 फरवरी 2006 को आनंदपुर गांव (आंध्र प्रदेश) से शुरुआत की गई यह योजना रोजगार की गारंटी देती है और ग्रामीण विकास और महिला उत्थान पर विशेष बल देती है समयानुसार संशोधन कर इस योजना का नाम 2 अक्टूबर 2009 को मनरेगा कर दिया गया इस योजना में केंद्र और राज्य का अंश 90:10 का होता है सरकार द्वारा इस योजना के तहत बजट मिल जाने के बावजूद भी निचले स्तर तक मनरेगा महिला मेट तक कोई लाभ नहीं पहुंच पा रहा है ग्राम रोजगार सेवक और प्रधान की मिलीभगत के चलते फर्जी हस्ताक्षर बना लिए जाते हैं और विधि विरुद्ध तरीके से खूब धन उगाही की जा रही है और जब यह अपने हक और अधिकारों की बात करती हैं तो इन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है मैं आज केंद्र और राज्य सरकारों को अवगत कराना चाहता हूं कि आज भले ही सरकारे महिलाओं की उन्नति और सशक्तिकरण के लिए तमाम योजनाएं चला रही हो लेकिन देश की सबसे बड़ी योजना मनरेगा योजना के तहत मनरेगा महिला मेट को न्याय नहीं मिलेगा मैं समझता हूं कि सरकार उनके साथ भेदभाव कर रही हूं इनके अधिकारों का शोषण ग्राम रोजगार सेवक व ग्राम प्रधान द्वारा करवा रही मैं सरकार से यह मांग करता हूं कि करमचारी प्रतिकार अधिनियम 1923 के तहत कार्यस्थल पर दुर्घटना होने पर मुआवजा उपलब्ध कराया जाए न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत मानदेय निश्चित किया जाए ब्लॉक कर्मी घोषित कर प्रमाण पत्र दिया जाए श्रम कानून को समवर्ती सूची में रखा गया है इसलिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों मिलकर इनके साथ हो रहे भेदभाव का निस्तारण करें इसी के साथ आज उक्त समिति के प्रदेश विधिक सलाहकार सुरेंद्र कुमार आजाद जी के नेतृत्व में जनपद सीतापुर की जिला अध्यक्ष बबली गौतम व अन्य तमाम महिला मित्रों के साथ जिलाधिकारी महोदय को पांच सूत्री ज्ञापन सौंपकर अपने हक और अधिकारों की बात कही गई इसी दौरान समिति के प्रदेश विधिक सलाहकार सुरेंद्र कुमार आजाद ने बताया कि इनके अधिकारों के लिए यदि हमें लाठियां भी खानी पड़ी तो हम लाठियां खाएंगे और इनकी लड़ाई तब तक लड़ते रहेंगे जब तक इनको हक और अधिकार नहीं मिल पाता क्योंकि यह महिलाएं इस देश की आधी आबादी कहीं जाती हैं और किसी भी देश के उत्थान के लिए जब तक महिलाओं का उत्थान नहीं होगा उनका विकास नहीं होगा देश की प्रगति नहीं हो सकती और तमाम बातें प्रदेश विधिक सभागार द्वारा बताई गई
