लखीमपुर-खीरी। कालाजार रोग के प्रति आम जनमानस को जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा व्यापक प्रचार प्रसार किया जा रहा है। इसे लेकर एक एडवाइजरी सीएमओ डॉ संतोष गुप्ता द्वारा जारी की गई है।
जिसमें उन्होंने बताया कि कालाजार प्रोटोजोआ लिश्मानिया डोनोवानी से होने वाला एक वेक्टर जनित रोग है। जिसमें बालू मक्खी वाहक का कार्य करती है। वेक्टर जनित रोग कालाजार को ब्लैक फीवर, डमडम फीवर भी कहा जाता है क्योंकि इसमें शरीर का रंग काला पड़ जाता है और पेट ढोलकनुमा या तुमड़ी के आकार का हो जाता है। यह मक्खी प्रायः सीलन युक्त अंधेरे स्थानों, मिट्टी की दीवालों एवं छिद्रों तथा गोबर के ढेरों पर पायी जाती है। यह आकार में मच्छर की अपेक्षा लगभग एक तिहाई होती है। आकार की अपेक्षा शरीर का भार अधिक होने के कारण उड़ने की अपेक्षा ज्यादातक फुदक कर एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचती है। बालू मक्खी का जीवन काल लगभग एक माह का होता है।
कालाजार के लक्षण-
रोगी को 15 दिन या उससे अधिक बुखार से पीड़ित हो। भूख कम लगना एवं वजन की कमी साथ ही एनीमिया की शिकायत होना। लिवर एवं स्पिलीन के बढ़ जाने के कारण पेट का आकार ढोलकनुमा हो जाना। त्वचा का रंग काला पड़ जाना।
कालाजार की जांच-
कालाजार के लक्षण दिखने पर इसकी जांच आरके-39 किट द्वारा की जाती है। जांच के उपरान्त धनात्मक पाए जाने पर रोगी का उपचार एम्बीसोम इंजेक्शन की एक खुराक द्वारा किया जाता है।
वर्ष 2021 में जनपद लखीमपुर खीरी के ब्लॉक पलिया के ग्राम पचपेड़ा एवं ढकिया में कालाजार के दो रोगी सूचित हुए थे। उक्त ग्रामों में कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के अन्तर्गत एक्टिव केश डिडेक्शन एवं इंडोर रेसिड्यूल स्प्रे (आईआरएस) की गतिविधियों को 04 चरणों में संपादित कराया जा चुका है।
कालाजार केस के सापेक्ष 06 चरणों में आईआरएस गतिविधि कराने का प्रावधान है। जिसमें से पांचवे चरण की शुरूआत दिनांक 21 नवम्बर 2023 को ग्राम ढकिया एवं पचपेड़ा में आशा कार्यकत्री एवं चार वर्करों को प्रशिक्षित कर शुरूआत किया गया। प्रशिक्षण के दौरान ग्राम प्रधान रामकुमार व सरिता भी मौजूद थे। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जिला मलेरिया अधिकारी, वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक दावा लामा एवं मलेरिया निरीक्षक विकास सिंह उपस्थित थे।
प्रशिक्षण के दौरान जिला मलेरिया अधिकारी ने अवगत कराया कि आई०आर०एस० की गतिविधि माइक्रोप्लान के अनुसार दिनांक 21.11.2023 से 30.11.2023 तक की जाय। आशा को निर्देशित किया गया कि जिस क्षेत्र में आई०आर०एस० की गतिविधि होना है उस क्षेत्र के लोगों को एक दिन पहले घर-घर जाकर रसोंई गृह एवं खाद्य पदार्थों को ढकने हेतु निर्देशित किया जाय। साथ ही कीटनाशक का छिड़काव होने के उपरान्त घरों एवं दिवालों की पेंटिंग एवं लिपाई-पुताई का कार्य कम से कम 06 महीने बाद ही किया जाय एवं आशा कार्यकत्री एवं वर्करों को निर्देशित किया गया कि दीवालों पर 06 फीट ऊँचाई तक लम्बवत छिड़काव करेंगे।
